पिछड़ा वर्ग जन कौन हैं?
मार्क गैलेण्टर अपनी पुस्तक कम्पीटिंग इक्वॉलिटीज : लॉ एण्ड द बैकवर्ड क्लासिज़ इन इण्डिया में लिखते हैं कि पिछड़ी जातियाँ बहुत ही अबद्ध संकल्पना है। समाजशास्त्रीय रूप से, इन वर्गों में एक बड़ी संख्या में वे पिछड़ी जातियाँ आती हैं जो अनुसूचित से ऊपर और उच्च जातियों से नीचे रहती हैं। यानी इन जातियों में मध्यवर्ती जातियाँ आती हैं। खेतीहर जातियाँ, कारीगर जातियाँ और सेवक जातियाँ । परम्परागत सामाजिक एवं आर्थिक प्राधारों में, जबकि खेतीहर जातियाँ और शिल्पकार / कारीगर जातियाँ समाज को सेवाएँ प्रदान करती थीं। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओ.बी.सी.) के नाम से पिछड़ी जातियाँ उन पिछड़े वर्गों से अलग हैं जिनमें दलित / अनुसूचित जातियाँ और अनुसूचित जनजातियाँ शामिल हैं।
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प्रमुख अन्य-पिछड़े वर्ग
उत्तर प्रदेश, बिहार व राजस्थान जैसे उत्तर भारतीय राज्यों में और उनमें से कुछ हरियाणा व मध्य प्रदेश में भी यादव, कुर्मी, कोएरी, गुज्जर व जाट; आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक व तमिलनाडु जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में काप्पू, काम्मा, रेड्डी, वोकलिग्गा, लिंगायत, मुलियर; तथा गुजरात व महाराष्ट्र जैसे पश्चिम भारतीय राज्यों में पटेल, कोली क्षत्रिय व मराठा। वे उच्च अथवा प्रबल पिछड़े वर्गों से संबंध रखते हैं। सेवक जातियाँ व कारीगर/ शिल्पकार जिनमें प्रमुख जातियाँ हैं- बढ़ई, लुहार, नाई, भिश्ती, आदि लगभग सभी राज्यों में घटती-बढ़ती संख्या में पाये जाते हैं। इनको कुछ राज्यों में सर्वाधिक पिछड़ी जातियों (एम बी सी) भी कहते हैं। इनके संबंधों पर जजमानी प्रथा का नियंत्रण था। इस प्रथा में सेवक एवं कारीगर वर्ग को प्रबल अथवा श्रेष्ठ जातियों का सरपरस्त माना जाता था। परवर्ती में उच्च जातियाँ और मध्यवर्ती खेतीहर दोनों ही जातियों शामिल थीं। इस इकाई में पिछड़े वर्ग व अन्य पिछड़े वर्ग को अदल-बदल कर प्रयोग किया जायेगा।
अन्य पिछड़ा वर्ग में जातियों को जोड़ना
किसी अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में वर्गीकृत अथवा स्वीकृत किया जाना एक राजनीतिक मुद्दा है। किसी समुदाय को एक अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में पहचान प्राप्त करने के लिए पर्याप्त राजनीतिक जोड़-तोड़ और पैबंदबाजी करनी पड़ती है। अन्य पिछड़े वर्गों के रूप में पहचान प्राप्त करने के लिए इन जातियों द्वारा माँग के अनेक उदाहरण मौजूद हैं। 1999 में राजस्थान सरकार और 2000 में उत्तर प्रदेश सरकार ने जाटों को भी अन्य पिछड़े वर्गों की सूची में शामिल कर लिया।
Source:-
Social_Movements_and_Politics_in India_book_mpse-007_ignou