संयुक्त राष्ट्र की संरचना (Structure of the United Nations)

संयुक्त राष्ट्र के मुख्य छह अंग हैं- महासभा (General Assembly), सुरक्षा परिषद (Security Council), आर्थिक और सामाजिक परिषद (Economic and Social Council), सचिवालय (Secretariat), अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice) और न्यासिता परिषद (Trusteeship Council)। दूसरा, संयुक्त राष्ट्र के कई कार्यक्रम और कोष हैं जैसे संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UN Children's Fund; UNICEF), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UN Development Programme; UNDP) और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UN Environment Programme; UNEP) आदि। ये कार्यक्रम और कोष संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक परिषद के अधीन आते हैं परन्तु महासभा को रिपोर्ट करते हैं। संयुक्त राष्ट्र के अधीन अभिकर्त्ताओं का तीसरा सेट विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले विशेषज्ञ अभिकरणों और सदृश्य निकाय (analogous bodies) हैं, जैसे कृषि, स्वास्थ्य, श्रम और मौसम विज्ञान। इन निकायों में सुपरिचित हैं: संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन यूनेस्को (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization; UNESCO), अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO), खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agricultural Organisation; FAO), विश्व बैंक।


संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में उत्तरदायित्वों को विशाल सरणी  है। इन उत्तरदायित्वों में शान्ति स्थापना, आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और यहाँ तक कि ऋण देना भी शामिल हैं। उस दृष्टि से संयुक्त राष्ट्र अधिदेश का कार्यक्षेत्र का उद्देश्य विश्व में सभी के लिए अधिक अवसरों के साथ अधिक स्थायी और सुरक्षित विश्व प्रदान करना है।




महासभा (General Assembly)

महासभा संयुक्त राष्ट्र का मुख्य आधार है। इस दृष्टि से महासभा विशिष्ट निकाय है कि यह केवल ऐसा मंच है जहाँ सभी देश एक-साथ बैठते हैं और अपनी-अपनी अत्यावश्यक समस्याओं की चर्चा करते हैं। इसके अलावा, सभी राष्ट्र राज्यों को उनकी आर्थिक प्रस्थिति को ध्यान में रखे बिना समान मतदान का अधिकार है। महासभा का मतदान एक-स्तरीय विश्व राय निरूपित करता है। फिर भी, महासभा के निर्णय सदस्य राज्यों पर कानूनी रूप से बंधनकारी नहीं हैं और अधिक से अधिक यह केवल राष्ट्रों के - समुदाय का नैतिक प्राधिकार निरूपित करता है।


सुरक्षा परिषद (Security Council)

सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र के सबसे अधिक महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। इसका मुख्य उत्तरदायित्व अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति सुरक्षा बनाए रखना है और यह उन संकटों पर विचार करता है जैसे ही वे उत्पन्न होते हैं। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अधीन सुरक्षा परिषद के निर्णय कानूनी रूप से बंधनकारी है और सदस्य. राज्यों को उनका निर्वहन करना अनिवार्य है। इस समय, सुरक्षा परिषद 15 सदस्यों से बनाई गई है जिनमें 5 सदस्य स्थायी हैं और 10 अस्थायी जिन्हें 2 वर्ष की अवधि के लिए चुना जाता है। स्थायी सदस्यों ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका को निषेधाधिकार (वीटो) शाक्ति प्राप्त है, अर्थात वे नकारात्मक मतदान का प्रस्ताव रोक सकते हैं (कुछ ऐसा जो प्रायः हुआ है) और संयुक्त राष्ट्र के समतावादी स्वरूप पर दाग लगता है।


आर्थिक और सामाजिक परिषद (Economic and Social Council; ECOSOC)

आर्थिक और सामाजिक परिषद अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक और सामाजिक मुद्दों के बारे में मुख्य संयुक्त राष्ट्र मंच हैं। इसके 54 सदस्य हैं जिन्हें तीन वर्ष की अवधि के लिए महासभा द्वारा चुना जाता है। आर्थिक और सामाजिक परिषद विकास के लिए क्षेत्रीय सहयोग सुदृढ़ करने में तथा आर्थिक और सामाजिक कार्य के आधार पर प्राथमिकताएँ निर्धारित करने में भी मुख्य भूमिका निभाता है। अधिकांश संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम कोष और सतत विकास आयोग (Commission on Sustainable Development. CSD) जैसे र्यावरणीय आयोग सहित प्रकार्यात्मक आयोग आर्थिक और सामाजिक परिषद के क्षेत्र में आते हैं। इस प्रकार यह संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ अभिकरणों, कार्यक्रमों और कोषों का समन्वय करता है तथा मुख्य संयुक्त राष्ट्र सम्मेलनों के अनुसार अनुवर्ती कार्यवाही प्रारंभ करता है। यह भूमिका भूमंडलीकरण के संदर्भ में और सतत विकास जैसे मुद्दों के सम्बन्ध में अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। पर्यावरण सम्बन्धी समस्याएँ आर्थिक और सामाजिक परिषद के अधिकार क्षेत्र के अधीन आती हैं।


सचिवालय (Secretariat)

संयुक्त राष्ट्र सचिवालय में संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न विभाग हैं और इस प्रकार यह संयुक्त राष्ट्र प्रणाली का मेरुदण्ड है। सचिवालय में कई कार्यालय / विभाग पर्यावरण सम्बन्धी समस्याओं का समाधान करते हैं। ये विभाग विभिन्न संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रमों में प्रयुक्त किए जाते हैं परन्तु बहुधा वे बहुत विभाजित रूप में कार्य करते हैं। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुधारों की प्रक्रिया के अधीन आर्थिक और सामाजिक विभाग नाम को एक पृथक विभाग बनाने के प्रयास किए गए थे। यह आगे दो विभागों में उनमें से एक नीति समन्वय और सतत विकास विभाग (Department for Policy Coordination and Sustainable Development DPCSD) होने के कारण संयुक्त राष्ट्र कार्यसूची का मेरुदण्ड होने के कारण विभक्त हो गया। इसमें संयुक्त राष्ट्र के अंदर परस्पर व्यापन और विरोध की कुछ मात्रा उत्पन्न हुई है।


अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice)

अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय राष्ट्र-राज्यों के बीच विवादों पर मध्यस्थ निर्णय करता है। 1949 में न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण सिद्धान्त की पुष्टि की अर्थात प्रत्येक राज्य की अपने राज्य क्षेत्र को ऐसी कार्यवाहियों के लिए उपयोग करने की अनुमति देने की कोई प्रतिबद्धता नहीं है जिनसे अन्य राज्यों के अधिकारों की हानि हो सकती है। बाद में यह पर्यावरण सम्बन्धी समस्याओं की तुलना में महत्वपूर्ण हो गया और बाद में स्टॉकहोम सम्मेलन के सिद्धान्त 21 के रूप में बना अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरण शासन प्रणाली के लिए अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय एक महत्वपूर्ण निकाय है।




Source:- https://unacov.uk/united-nations/
Globalization_and_Environment_book_med-008_ignou

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