'नवजागरण' शब्द यूरोप के मध्ययुग और आधुनिक युग के बीच की संक्रांति की अवस्था का वाचक है। इसके लिए अंग्रेजी में 'रैनेसा' (Renaissance) शब्द प्रचलित है। 14वीं सदी के आरंभ तक यूरोप में प्राचीन रोमन साम्राज्य के ध्वंस से उत्पन्न अव्यवस्था और गड़बड़ी शांत हो चुकी थी। आक्रमणकारी नयी जातियां पुरानी लातीनी जातियों द्वारा सुसंस्कृत, स्वधर्म में दीक्षित और आत्मसात् कर ली गई थी। उस समय यूरोपीय संस्कृति में एक नये जीवन का संचार हुआ था। जिसका वेग लगभग 16वीं सदी तक बना रहा। यह युग मोटे तौर पर दो सौ वर्षो का माना जाता है। इस युग में नये-नये अन्वेषण और आविष्कार हुए, धर्म और दर्शन का नया संस्करण किया गया। कला और विज्ञान की नयी साधना का शुभारंभ हुआ, राजनीतिक और समाज व्यवस्था में नयी सांस्कृतिक चेतना का संचार हुआ, जिसका प्रथम उन्मेष इटली में देखने को मिलता है। इस प्रकार यूरोप का एक प्रकार से नया जन्म हुआ और इसी कारण उस युग को 'नवजन्म' या 'पुनर्जन्म' के पर्यायभूत 'नवजागरण' या 'पुनर्जागरण' का अभिधान प्रदान किया गया है। 'नवजागरण' की कल्पना के प्रचार का श्रेय इटली के नवजागरण के प्रथम इतिहासकार वर्कहार्ट को जाता है, यद्यपि 'रेनेसा' शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम प्रसिद्ध फ्रांसीसी इतिहास-दार्शनिक 'मिशेसेट' ने 19वीं सदी के पूर्वार्द्ध में किया था।
नवजागरण युग में पश्चिमी यूरोप मध्ययुगीनता के बंधनों से मुक्त होने लगा था। इस युग में व्यक्ति स्वातंत्र्य की प्रतिष्ठा हुई और चर्च का प्रभाव तेजी से घटा। मनुष्य की दृष्टि, जो मध्य युग में सदा परलोक की ओर टिकी रहती थी, इहलोक की ओर उन्मुख हुई। ऐहिक मूल्यों का मान तेजी से बढ़ा। मनुष्य में ईश्वर की उपेक्षा करने का साहस पैदा हुआ और वह अपने को समझने में दत्तचित्त हुआ। धर्म की अपेक्षा दर्शन का महत्व बढ़ा। धर्मनिरपेक्ष मानववाद का पथ प्रशस्त हुआ। एक प्रकार से रूदपस्त ईसाई जीवन-प्रणाली एवं जीवन-दर्शन का ही विघटन हो गया और उसका स्थान यूनानी-रोमन जीवन-प्रणाली तथा जीवन दर्शन से उत्प्राणित नयी चेतना ने ले लिया। संन्यासियों के स्थान पर ऐसे बुद्धिजीवियों का पदार्पण हुआ, जो स्वभाव अथवा मन को वश में करने के बदले उसके विकास एवं परिणति में आस्था रखते थे। नवजागरण-युग वस्तुतः संन्यासवाद के प्रति उपभोगवाद के विद्रोह का युग था।
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यूरोप की इस सांस्कृतिक महाक्रांति का एक बड़ा कारण है यूनानी-रोमन जीवनदृष्टि एवं जीवन-मानों का प्रत्यावर्तन। यूनानी-रोमन साहित्य, दर्शन और चिंतन ने यूरोप की मध्ययुगीन कूपमंडूकता भंग कर उसमें नये मूल्यों की वासना उत्पन्न कर दी। यूनानी संस्कृति की उदारता, इहलोक-केंद्रीयता तथा धर्म और ईश्वर आदि के संबंध में अनाग्रह प्रसिद्ध है।
यूरोप में यूनान की बौद्धिक वैज्ञानिक जीवन-दृष्टि का प्रचार-प्रसार अरब विचारकों के हाथों संपन्न हुआ था। यूनानी साहित्य को नष्ट होने से बचाने तथा उसका भली भांति अध्ययन और अध्यापन करते हुए उसे पश्चिमो यूरोप तक पहुंचाने का श्रेय अरबों को ही प्राप्त है। अतः नवजागरण के इस सांस्कृतिक आंदोलन में अरबों का महत्वपूर्ण योग रहा है।
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संक्षेप में सामंतवाद और धार्मिक सत्ता के कठोर नियंत्रण से मुक्ति, व्यक्तिवाद, भौतिकवाद, वैज्ञानिक जिज्ञासा, सचेत रूप से समाज सुधार के प्रयास, बुद्धिवाद, प्रशासनिक न्यायिक सुधार, नवीन जीवन शैली, नयी संस्कृति और एक नयी दुनिया की ओर प्रयाण आदि नवजागरण की सामान्य विशेषताएं हैं।
Source:- हिंदी भाषा की परिभाषिक शब्दावली by Dr.Amarnaath.
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