बिमस्टेक, BIMSTEC

''बिमस्टेक' अंग्रेज़ी के BIMSTEC का अनुवादित (Translated) रूप है। BIMSTEC एक संक्षिप्त रूप (Acronym) है जो वस्तुतः बंगलादेश, इंडिया (भारत), म्याँमार, श्रीलंका और थाईलैंड आर्थिक समूह (Bangladesh, India, Myanmar, Sri Lanka, Thailand Economic Cooperation) के अंग्रेज़ी के प्रथम वर्णों से मिलकर बना था। परन्तु वर्ष 2004 में नेपाल और भूटान के इसमें शामिल होने के बाद संगठन का नाम बदलकर "बे ऑफ़ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन" कर दिया गया। 


'बिमस्टेक' वह उप-क्षेत्रीय आर्थिक समूह है, जिसमें बंगलादेश, भारत (इंडिया), म्याँमार श्रीलंका और थाईलैंड देश शामिल हैं। यह अपने ढंग का पहला समूह है जिसमें आसियान के दो सहभागी देश, तीन दक्षिण एशियाई देशों के साथ आर्थिक सहयोग के हिस्सेदार हैं। सन 1998 में स्थापना के बाद इस वर्ग ने संचार ढाँचागत संरचना, ऊर्जा, व्यापार और निवेश पर्यटन तथा मछली पालन जैसे सहयोग के महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान कर ली थी। इस कार्य के लिए प्रत्येक देश ने समन्वयन की विशिष्ट जिम्मेदारी अपने ऊपर ली है। इसके विचाराधीन प्रमुख परियोजनाएँ हैं एशियाई संपर्क राजमार्ग, एशियाई रेलवे नेटवर्क और प्राकृतिक गैस पाइप लाइन ग्रिड। बंगाल की खाड़ी के निकटवर्ती देशों से गठित 'बिमस्टेक' समूह का उद्देश्य इस क्षेत्र के विशाल प्राकृतिक और मानव संसाधनों की क्षमता का उपयोग करना है।



'बिमस्टेक' प्रक्रिया में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए एस्कैप (ESCAP) ने मार्च 1998 में एक विशेषज्ञ समूह की बैठक आयोजित की। इस बैठक में बिमस्टेक के पाँचों सदस्य देशों के अस्सी प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस बैठक में निजी क्षेत्र से आग्रह किया गया कि वह आर्थिक क्षेत्र में सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए प्रमुख भूमिका निभाए। इस बैठक के अंत में कुछ सामान्य तथा कुछ विशिष्ट सिफारिशें प्रस्तुत की गई।



'बिमस्टेक' का एक चैम्बर ऑफ कॉमर्स (वाणिज्य मंडल) स्थापित किया गया और यह "निश्चय किया गया कि आर्थिक सहयोग की पहलों के कार्यान्वयन के लिए अनुवर्ती कार्रवाई के रूप में 'बिमस्टेक के आर्थिक और व्यापार मंत्रियों की वार्षिक बैठकें की जाएँगी। बिमस्टेक की एक प्रवर आर्थिक अधिकारियों की समिति (BIMSTEC Senior Economic Officials Committee - SEOC) की भी स्थापना की गई। विभिन्न क्षेत्रों की जिम्मेदारियों की पहचान की गई। उनसे सहयोग के लिए इन जिम्मेदारियों को पाँच देशों में निम्नलिखित प्रकार से निर्धारित किया गया

बंगलादेश             :    व्यापार और निवेश

इंडिया (भारत)      :   प्रौद्योगिकी

थाईलैंड               :    परिवहन और संचार

म्यांमार (बर्मा)       :   ऊर्जा

श्रीलंका                :  पर्यटन और मछली पालन

यह उल्लेखनीय है कि आर्थिक मंत्री इस बात से सहमत थे कि 'बिमस्टेक' को मुक्त व्यापार समझौता करने और उसे कार्यान्वित करने का लक्ष्य रखना चाहिए। भविष्य में सहयोग के लिए ऊपर बताए गए पाँच क्षेत्रों में कुछ नए उप-क्षेत्र जोड़ दिए गए। ये उप-क्षेत्र निम्न प्रकार से हैं :

1) रबर कॉफी, चाय, नारियल और मसाले जैसी चीजें।

2) ऑटोमोबाइल (मोटर) उद्योग और उनके हिस्से ।

3) संसाधित आहार (खाद्य पदार्थ)

19 दिसंबर, 1998 में ढाका में हुई 'बिमस्टेक' की मंत्रिमंडलीय बैठक में कहा गया कि हम 'बिमस्टेक' के आर्थिक मंच की स्थापना की आवश्यकता पर जोर देते हैं जो 'बिमस्टेक' के उप-क्षेत्र के अंतर्गत अधिकाधिक आर्थिक सहयोग और प्रगति के लिए कार्य करेगा।  इसमें आगे कहा गया कि वाणिज्यिक, औद्योगिक, सांस्कृतिक और सामाजिक अंतक्रिया तथा पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए परिवहन और संचार के क्षेत्र में संपर्क द्वारा जो महत्वपूर्ण भूमिका अदा की जा सकती है उसके प्रति हम सजग हैं।



दिसंबर, 2001 में म्यांमार में आयोजित 'बिमस्टेक' की बैठक में सदस्य देशों के चिंतक समूह (Think Tank) में संपर्क को सशक्त बनाने की आवश्यकता पर बल दिया गया। वे मेकाँग-गंगा सहयोग (MGC) के कार्यक्रम के लिए बाहरी वित्त व्यवस्था की खोज करने पर सहमत हो गए। इस कार्यक्रम में भारत और हिंद-चीन राज्य शामिल थे। ऐसी आशा थी कि सहयोगं की कार्यसूची (एजेंडा) की प्रकृति के लचीलेपन के कारण, जिसमें संस्कृति और पर्यटन से लेकर परिवहन और संचार तक के विषय शामिल हैं, तेज़ी से प्रगति हो सकती है। मेकाँग-गंगा सहयोग में भारत के साथ कंबोडिया, लाओस, म्याँमार, विएतनाम और थाईलैंड आदि पाँच देश शामिल हैं। इस विषय में ऐसा प्रयास किया जाएगा कि थाईलैंड को भारत से जोड़ने के लिए एक सड़क बरास्ता म्याँमार निकाली जाए। मेकाँग गंगा सहयोग दल राष्ट्र-पारीय व्यापार के लिए ढाँचागत संरचना के विकास के लिए बहुत कुछ करना चाहता है। इसमें भारत की उत्तर-पूर्वी सीमा, म्याँमार, मेकाँग क्षेत्र और उससे भी आगे का क्षेत्र शामिल हैं। भारत और चीन के बीच में स्थित मेकाँग क्षेत्र भारत की सुरक्षा, शांति और पूर्वी एशियाई देशों के साथ व्यापार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

Source:- India_and_the_World_book_mpse-001_ignou







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